स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र: मौन तप है, लेकिन बोलना एक कला है, दूसरों की प्रशंसा करें और अच्छी बातों का समर्थन करें
Wednesday, 07 Aug 2024 00:00 am

The News Alert 24

स्वामी अवधेशानंद जी गिरि, एक प्रसिद्ध संत और योगी, ने जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपनी गहरी समझ और अनुभव साझा किए हैं। उनके जीवन सूत्र हमें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन और सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। उनके अनुसार:

मौन तप है

मौन का पालन करने से आत्मा की शांति और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के अनुसार, मौन तप का मतलब है कि हमें अपने विचारों और शब्दों को नियंत्रित करना आना चाहिए। यह हमें आंतरिक शांति और मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। मौन का अभ्यास करते हुए हम अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में प्रकट कर सकते हैं और अपने भीतर की गहराई को समझ सकते हैं।

बोलना एक कला है

बोलने की कला केवल शब्दों को व्यक्त करने तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा माध्यम है जिससे हम अपनी सोच, भावनाएं और विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकते हैं। स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के अनुसार, बोलने की कला में समझदारी, विनम्रता और प्रभावशीलता शामिल है। सही समय पर और सही ढंग से बोलना किसी भी व्यक्ति को एक प्रभावशाली और प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना सकता है।

दूसरों की प्रशंसा करें

दूसरों की प्रशंसा करना न केवल उनके आत्मसम्मान को बढ़ाता है बल्कि रिश्तों को भी मजबूत बनाता है। स्वामी अवधेशानंद जी गिरि का मानना है कि किसी की अच्छाई और सकारात्मकता को पहचानना और उसकी सराहना करना हमें अपने स्वयं के विकास के लिए प्रेरित करता है। इससे न केवल हमारे रिश्ते में सुधार होता है, बल्कि हमें भी एक सकारात्मक मानसिकता प्राप्त होती है।

अच्छी बातों का समर्थन करें

अच्छी बातों और विचारों का समर्थन करना समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक तरीका है। स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के अनुसार, हमें उन विचारों और कार्यों का समर्थन करना चाहिए जो समाज और जीवन को बेहतर बनाने में मददगार हों। यह हमें और समाज को एक अच्छा दिशा देने में सहायक होता है और हमें अपने जीवन में सार्थकता का अहसास कराता है।