धार्मिक कैलेंडर में अगस्त महीने का समय विशेष महत्व रखता है, खासकर 8 और 9 अगस्त को। इस अवधि में चतुर्थी व्रत और नाग पंचमी जैसे महत्वपूर्ण त्योहार आते हैं, जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
चतुर्थी व्रत, जिसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, विशेष रूप से भगवान गणेश के उपासकों द्वारा मनाया जाता है। यह व्रत हर माह की चतुर्थी तिथि को किया जाता है और गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए अर्पित किया जाता है। व्रत के दिन महिलाएं विशेष रूप से उपवासी रहकर गणेश जी की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद से सभी संकटों से मुक्ति प्राप्त करने की कामना करती हैं।
नाग पंचमी का पर्व खासकर नाग देवताओं की पूजा के लिए समर्पित होता है। यह पर्व भाद्रपद मास की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से नाग देवताओं की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर: नाग पंचमी के अवसर पर उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। यह मंदिर साल में एक बार नाग पंचमी के दिन खुलता है, और भक्तों को यहाँ नाग देवता की प्रतिमा का अभिषेक करने का अवसर मिलता है।
अभिषेक और पूजा विधि: नाग पंचमी पर नाग देवता की प्रतिमा का अभिषेक करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। भक्त नाग देवता को दूध, पानी, और फूल अर्पित करते हैं और विशेष मंत्रों का जाप करते हैं। यह पूजा विशेष रूप से घर की सुख-समृद्धि और परिवार की रक्षा के लिए की जाती है।
नाग देवताओं की पूजा: नाग पंचमी के दिन नाग देवताओं की पूजा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और बुरे प्रभावों से बचाव होता है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
पारंपरिक मान्यता: मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से उनके आशीर्वाद से घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिनका जन्म नाग जाति में हुआ हो।