राहु-केतु के उपाय: कुंडली में राहु-केतु की खराब स्थिति बढ़ा सकती है मुश्किलें, मुक्ति के लिए करें ये काम
Wednesday, 07 Aug 2024 00:00 am

The News Alert 24

राहु और केतु के ग्रहों की स्थिति कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इनकी खराब स्थिति जीवन में विभिन्न समस्याएं पैदा कर सकती है। ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन पर गंभीर प्रभाव डालते हैं।

राहु-केतु के प्रभाव

  1. राहु: राहु एक अशुभ ग्रह है जिसे किसी भी नकारात्मक प्रभाव का मुख्य कारण माना जाता है। राहु की खराब स्थिति से मानसिक तनाव, असफलता, और बुरे स्वास्थ्य की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

  2. केतु: केतु भी राहु की तरह एक छाया ग्रह है, जो व्यक्ति के जीवन में समस्याएं और विफलताओं का कारण बन सकता है। केतु की स्थिति से पाचन समस्याएं, आर्थिक समस्याएं, और पारिवारिक विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।

राहु-केतु के उपाय

  1. राहु के उपाय

    • राहु शांति व्रत: शनिवार के दिन राहु शांति व्रत करने से राहु के प्रभावों को कम किया जा सकता है। इस दिन गरीबों को भोजन कराएं और काले वस्त्रों का दान करें।

    • नीला वस्त्र पहनें: नीले रंग के वस्त्र पहनने से राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। नीले रंग के पत्थर या रत्न जैसे नीलम का पहनना भी फायदेमंद होता है।

    • भैरव पूजा: भगवान भैरव की पूजा करने से राहु के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है। विशेष रूप से शनिवार के दिन भैरव पूजा करना लाभकारी होता है।

  2. केतु के उपाय

    • केतु शांति व्रत: केतु के प्रभावों को कम करने के लिए मंगलवार के दिन केतु शांति व्रत करना चाहिए। इस दिन काले तिल का दान करें और हनुमान जी की पूजा करें।

    • काले वस्त्र पहनें: केतु के प्रभाव को कम करने के लिए काले रंग के वस्त्र पहनना और काले रत्न जैसे लहसुनिया पहनना लाभकारी हो सकता है।

    • गायत्री मंत्र का जाप: केतु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप करें। यह मंत्र मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

उपायों की प्रभावशीलता

इन उपायों का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। हालांकि, यह भी आवश्यक है कि इन उपायों को नियमित रूप से और सही विधि से किया जाए। ज्योतिषीय सलाह और सही मार्गदर्शन प्राप्त करना भी आवश्यक है ताकि आप अपनी कुंडली की स्थिति के अनुसार उचित उपाय कर सकें।