बोइंग का स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान, जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक मानव मिशनों को भेजने के लिए विकसित किया गया है, एक सफल प्रोजेक्ट बनने के बजाय असफलताओं और देरी की कहानी बनकर रह गया है। इस लेख में, हम इस यान के सफर की शुरुआत से अब तक की महत्वपूर्ण घटनाओं और चुनौतियों पर नज़र डालेंगे।
बोइंग ने स्टारलाइनर को नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत विकसित किया, जिसका उद्देश्य अमेरिकी धरती से अंतरिक्ष यात्रियों को ISS तक पहुंचाना था। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के साथ प्रतियोगिता में रहते हुए, बोइंग के स्टारलाइनर से भी बड़ी उम्मीदें थीं। नासा और बोइंग दोनों ने इस प्रोजेक्ट के लिए समयसीमा और लागत को लेकर महत्वपूर्ण लक्ष्य तय किए थे।
स्टारलाइनर की पहली बड़ी असफलता दिसंबर 2019 में हुई, जब इसे अपनी पहली अनक्रूड टेस्ट फ्लाइट (ओर्बिटल फ्लाइट टेस्ट-1) पर भेजा गया। मिशन के दौरान, यान के टाइमिंग सिस्टम में समस्या आई, जिसके कारण यह सही कक्षा में नहीं जा सका और ISS तक पहुंचने में विफल रहा। इस असफलता ने बोइंग और नासा दोनों के लिए बड़ी चिंता उत्पन्न कर दी, क्योंकि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सबसे बड़ी प्राथमिकता थी।
पहली असफलता के बाद, बोइंग ने स्टारलाइनर के सिस्टम्स की गहन समीक्षा और सुधार का निर्णय लिया। लेकिन इसके बावजूद, अगस्त 2021 में दूसरी टेस्ट फ्लाइट की तैयारी के दौरान वाल्व से संबंधित समस्याओं के कारण मिशन को फिर से स्थगित करना पड़ा। बोइंग की टीम ने पाया कि वाल्व में नमी के कारण जंग लग गई थी, जिससे वाल्व को सही तरीके से काम करने में समस्या आ रही थी।
हर असफलता और तकनीकी समस्या के साथ, स्टारलाइनर की लॉन्च की समयसीमा और परियोजना की लागत में लगातार वृद्धि होती रही। जहां स्पेसएक्स ने अपने क्रू ड्रैगन कैप्सूल के साथ कई सफल मानव मिशन पूरे कर लिए, वहीं बोइंग का स्टारलाइनर लगातार पीछे होता चला गया। इन देरी और असफलताओं ने नासा के कमर्शियल क्रू प्रोग्राम पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिए।
बोइंग अभी भी स्टारलाइनर को सफल बनाने की दिशा में काम कर रहा है। कंपनी ने तकनीकी समस्याओं को हल करने और एक सुरक्षित एवं विश्वसनीय अंतरिक्ष यान तैयार करने के लिए कई उपाय किए हैं। लेकिन इसे स्पेसएक्स जैसी सफलता प्राप्त करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है।