RHUMI-1: TN-based Start-up Launches India's First Reusable Hybrid Rocket
Wednesday, 28 Aug 2024 00:00 am

The News Alert 24

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई क्रांति का आगाज हुआ है। तमिलनाडु स्थित एक स्टार्ट-अप ने 'RHUMI-1' नामक भारत का पहला पुन: प्रयोज्य हाइब्रिड रॉकेट लॉन्च करके अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस रॉकेट की विशेषता है कि यह एक हाइब्रिड प्रणाली का उपयोग करता है और इसे पुन: प्रयोज्य बनाया गया है, जिससे लागत में कमी और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

RHUMI-1 की प्रमुख विशेषताएं

  1. पुन: प्रयोज्यता: RHUMI-1 भारत का पहला हाइब्रिड रॉकेट है जिसे पुन: प्रयोज्य बनाया गया है। इसका मतलब है कि इसे एक बार लॉन्च के बाद पुनः इस्तेमाल किया जा सकता है, जो अंतरिक्ष मिशनों की लागत को काफी हद तक कम करेगा।

  2. हाइब्रिड प्रौद्योगिकी: इस रॉकेट में ठोस और तरल ईंधन दोनों का संयोजन होता है, जो इसे अधिक सुरक्षित और कुशल बनाता है। यह तकनीक पारंपरिक रॉकेट प्रणालियों की तुलना में अधिक स्थिरता और नियंत्रण प्रदान करती है।

  3. पर्यावरणीय लाभ: हाइब्रिड रॉकेट्स पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होते हैं। ठोस और तरल ईंधन के संयोजन से प्रदूषक उत्सर्जन में कमी आती है, जिससे यह तकनीक अधिक पर्यावरणीय रूप से अनुकूल हो जाती है।

भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक नई उपलब्धि

RHUMI-1 का सफल प्रक्षेपण न केवल तमिलनाडु स्थित स्टार्ट-अप के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती क्षमता और नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस रॉकेट का विकास स्टार्ट-अप द्वारा की गई निरंतर रिसर्च और डेवलपमेंट का परिणाम है, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग से किया गया। इस प्रक्षेपण ने भारतीय स्टार्ट-अप्स के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं।

भविष्य की संभावनाएं

RHUMI-1 की सफलता ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पुन: प्रयोज्य रॉकेटों के महत्व को और भी स्पष्ट कर दिया है। भविष्य में, ऐसी प्रौद्योगिकियों से अंतरिक्ष मिशनों की लागत में कटौती और अंतरिक्ष तक पहुंच को और भी सुलभ बनाने में मदद मिलेगी।

इसके साथ ही, यह अन्य देशों के साथ अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास में सहयोग के नए अवसर भी पैदा करेगा। इससे भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को वैश्विक स्तर पर और भी मजबूती मिलेगी और यह अंतरिक्ष उद्योग में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है।