दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को शराब नीति मामले में उनकी न्यायिक हिरासत को 3 सितंबर तक बढ़ा दिया है। केजरीवाल के वकील द्वारा दी गई सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया।
दिल्ली की कथित विवादास्पद शराब नीति को लेकर अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार पर आरोप है कि उन्होंने नीति में बदलाव करते हुए कुछ शराब विक्रेताओं को अनुचित लाभ पहुँचाया। यह मामला तब सामने आया जब दिल्ली की नई शराब नीति को लेकर विवाद बढ़ा और विपक्षी दलों ने केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इस मामले में कई बड़े अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ भी जांच जारी है।
अरविंद केजरीवाल को इस मामले में पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। हालांकि, उनके वकीलों ने अदालत में कई बार जमानत की याचिका दायर की, लेकिन हर बार अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया। मंगलवार को एक बार फिर से अदालत ने उनकी हिरासत को 3 सितंबर तक बढ़ाने का आदेश दिया।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान, केजरीवाल के वकील ने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया जा रहा है। हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत देना फिलहाल उचित नहीं होगा।
अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस फैसले की आलोचना की। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है और केजरीवाल को साजिशन फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी अपने नेता के साथ मजबूती से खड़ी है और अदालत में अपनी लड़ाई जारी रखेगी।
वहीं, विपक्षी दलों ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए कहा कि कानून सबके लिए समान है और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने के लिए उन्हें न्यायपालिका की प्रक्रिया का पालन करना होगा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने कहा कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा कदम है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 3 सितंबर तक बढ़ने से उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि वे अदालत में अपने नेता की बेगुनाही साबित करने की पूरी कोशिश करेंगे। इसके साथ ही, वे जनता को इस मुद्दे पर जागरूक करने के लिए भी एक व्यापक अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं।
इस मामले का दिल्ली की राजनीति पर बड़ा असर पड़ सकता है। आगामी चुनावों में आम आदमी पार्टी को इस मुद्दे का सामना करना पड़ेगा और विपक्षी दल इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकते हैं। वहीं, अरविंद केजरीवाल की छवि पर भी इस मामले का सीधा असर पड़ सकता है, जिससे पार्टी को जनता के बीच में अपनी सफाई देने की चुनौती होगी।