साइबेरियन गेटवे टू हेल 30 वर्षों में तीन गुना बड़ा: वैज्ञानिक क्या कह रहे हैं
Tuesday, 03 Sep 2024 13:30 pm

The News Alert 24

याकुतिया, साइबेरिया: साइबेरिया के याकुतिया क्षेत्र से एक चौंकाने वाला पर्यावरणीय विकास सामने आया है। जिसे ‘गेटवे टू हेल’ (नरक का द्वार) के नाम से जाना जाता है, एक विशाल क्रेटर पिछले 30 वर्षों में तीन गुना बढ़ गया है, जो वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय है।

‘गेटवे टू हेल’ क्या है?

साइबेरियन 'गेटवे टू हेल' एक विशाल क्रेटर है जो याकुतिया, रूस में स्थित है, जिसे आधिकारिक रूप से बटागाइका क्रेटर के नाम से जाना जाता है। यह विशाल गड्ढा 1960 के दशक में देखा गया था और हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ रहा है। क्रेटर का निर्माण पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने और मिट्टी के कटाव के कारण हुआ है, जिसने इसके तेजी से बढ़ने में योगदान किया है।

क्रेटर की मुख्य विशेषताएँ:

  1. आकार और विस्तार: प्रारंभ में, क्रेटर अपेक्षाकृत छोटा था, लेकिन पिछले 30 वर्षों में इसका आकार तेजी से बढ़ा है। अब यह कई किलोमीटर चौड़ा और गहरा है, जिससे यह दुनिया के सबसे बड़े पर्माफ्रॉस्ट संबंधित क्रेटरों में से एक बन गया है।

  2. गठन: क्रेटर का निर्माण पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने के कारण हुआ, जिससे पहले से जमी हुई मिट्टी और कार्बनिक पदार्थ बाहर आ गए। जैसे-जैसे पर्माफ्रॉस्ट पिघलता गया, जमीन ढह गई, जिससे बड़ा गड्ढा बन गया।

वैज्ञानिक चिंताएँ

वैज्ञानिक इस क्रेटर के तेजी से विस्तार को लेकर गंभीर चिंताओं को व्यक्त कर रहे हैं। क्रेटर के विस्तार को पर्यावरणीय और जलवायु परिवर्तनों से जोड़ा गया है, जिसमें शामिल हैं:

  1. पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना: क्रेटर के विस्तार का मुख्य कारण पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना है। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ता है, पर्माफ्रॉस्ट पिघलता है, जिससे जमीन ढह जाती है और क्रेटर का विस्तार होता है।

  2. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसे ग्रीनहाउस गैसों को मुक्त करता है, जो कई वर्षों से बर्फ में फंसी हुई थीं। ये गैसें ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करती हैं और पिघलने की प्रक्रिया को तेज करती हैं।

  3. पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव: क्रेटर का विस्तार स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। पर्माफ्रॉस्ट का नुकसान उन पौधों और जानवरों की प्रजातियों को प्रभावित करता है जो जमी हुई जमीन पर निर्भर करती हैं। इसके अलावा, पिघलती हुई मिट्टी से प्राचीन सूक्ष्मजीव और रोगजनक भी निकल सकते हैं, जो वन्य जीवन और मनुष्यों के लिए खतरा हो सकते हैं।

अनुसंधान और निगरानी

वैज्ञानिक बटागाइका क्रेटर की निगरानी कर रहे हैं ताकि इसके व्यवहार और पर्यावरणीय प्रभाव को समझा जा सके। मुख्य क्षेत्रों में शामिल हैं:

  1. दीर्घकालिक अवलोकन: वैज्ञानिक क्रेटर के विस्तार की दर और संबंधित पर्यावरणीय परिवर्तनों को ट्रैक करने के लिए दीर्घकालिक अध्ययन कर रहे हैं। यह डेटा भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी और संभावित जोखिमों का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है।

  2. जलवायु मॉडल: क्रेटर के विस्तार को जलवायु मॉडलों में शामिल किया जा रहा है ताकि पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने के वैश्विक जलवायु पैटर्न पर प्रभाव को बेहतर तरीके से समझा जा सके। ये मॉडल भविष्य की जलवायु स्थितियों की भविष्यवाणी करने और नीतियों को मार्गदर्शित करने में मदद करते हैं।

  3. पारिस्थितिकी तंत्र के अध्ययन: वैज्ञानिक स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर क्रेटर के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं, जिसमें पौधों और वन्य जीवन में बदलाव शामिल हैं। इन प्रभावों को समझना पर्यावरणीय क्षति को कम करने के लिए रणनीतियाँ विकसित करने के लिए आवश्यक है।

वैश्विक प्रभाव

बटागाइका क्रेटर का विस्तार जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभावों की एक सख्त याद दिलाता है। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ता है, अन्य पर्माफ्रॉस्ट क्षेत्रों में इसी प्रकार की घटनाएँ होने की संभावना है। पर्माफ्रॉस्ट का पिघलना और संबंधित ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर करता है।

मुख्य निष्कर्ष: