बेंगलुरु में एक बड़े कारोबारी से 1.5 करोड़ रुपये की जबरन वसूली के आरोप में चार जीएसटी (GST) अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले ने न केवल जीएसटी प्रशासन में भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने की कितनी जरूरत है।
केंद्रीय अपराध शाखा (CCB) की एक टीम ने बेंगलुरु के एक व्यवसायी द्वारा की गई शिकायत के आधार पर चार जीएसटी अधिकारियों को गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इन अधिकारियों ने उससे 1.5 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की और भुगतान नहीं करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
शिकायत मिलने के बाद, CCB ने एक विस्तृत जांच शुरू की और पाया कि जीएसटी अधिकारियों ने कथित तौर पर व्यवसायी को फर्जी जीएसटी उल्लंघन के आरोप में फंसाने की धमकी दी थी। जांच के दौरान, यह भी पता चला कि इन अधिकारियों ने धनराशि का भुगतान करने के बाद ही व्यवसायी को "क्लीन चिट" देने का वादा किया था।
गिरफ्तार किए गए चार अधिकारियों की पहचान [अधिकारियों के नाम या रैंक] के रूप में की गई है, जो बेंगलुरु में जीएसटी विभाग के विभिन्न पदों पर कार्यरत थे। इन अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए व्यवसायियों से रिश्वत लेकर उनके मामलों को रफा-दफा करने की कोशिश की।
सूत्रों के अनुसार, आरोपियों ने नकद धनराशि प्राप्त की और इसे सुरक्षित ठिकानों पर छुपाया। अधिकारियों ने धमकी दी थी कि अगर व्यवसायी ने उनकी मांगों का पालन नहीं किया, तो उनके व्यवसाय को "विशेष ऑडिट" के नाम पर परेशान किया जाएगा।
सीसीबी ने एक गुप्त ऑपरेशन चलाया और एक नकली लेन-देन की योजना बनाई ताकि अपराधियों को रंगे हाथों पकड़ा जा सके। यह ऑपरेशन सफल रहा और सभी चारों अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों के पास से बड़ी मात्रा में नकदी और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं जो उनके आपराधिक गतिविधियों को प्रमाणित करते हैं।
बेंगलुरु पुलिस ने कहा है कि इस मामले में और भी जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस रैकेट में और कौन-कौन शामिल हैं। साथ ही, पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या अन्य अधिकारियों ने भी इस तरह के जबरन वसूली में भाग लिया है।
इस मामले के सामने आने के बाद जीएसटी विभाग ने इस घटना की निंदा की है और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का वादा किया है। जीएसटी अधिकारियों के अनुसार, यह एक व्यक्तिगत कृत्य था और विभाग का इससे कोई लेना-देना नहीं है। विभाग ने यह भी कहा है कि इस तरह के कृत्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सभी दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।
यह घटना भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत को और भी स्पष्ट करती है। सरकारी तंत्र में ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की उपस्थिति न केवल विभाग की साख को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी हिला देती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र, कड़ी सजा, और पारदर्शिता की जरूरत है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी सरकारी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग न कर सके।