चीन ने यूरोपीय संघ (EU) के देशों पर अपनी "गाजर और छड़ी" (carrot-and-stick) की नीति का इस्तेमाल करते हुए अपने रणनीतिक और आर्थिक हितों को साधना शुरू कर दिया है। चीन की इस कूटनीति का उद्देश्य यूरोप में अपने प्रभाव को बढ़ाना और यूरोपीय संघ के विभिन्न देशों की विदेश नीति और आर्थिक निर्णयों को प्रभावित करना है।
"गाजर और छड़ी" की नीति एक कूटनीतिक रणनीति है जिसमें प्रलोभन (गाजर) और दबाव (छड़ी) का इस्तेमाल किया जाता है। चीन इस नीति का इस्तेमाल अपने कूटनीतिक और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कर रहा है। एक तरफ वह निवेश, व्यापार, और सहयोग का प्रलोभन देकर कुछ देशों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह उन देशों को सजा देने की धमकी दे रहा है जो उसके खिलाफ खड़े होते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, चीन ने अपने प्रभाव को यूरोपीय संघ के देशों पर बढ़ाने के लिए कई कूटनीतिक और आर्थिक कदम उठाए हैं। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से, चीन ने यूरोप के कई देशों में भारी निवेश किया है। चीन की यह नीति खासतौर पर उन देशों में सफल हो रही है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिन्हें विदेशी निवेश की आवश्यकता है।
कुछ यूरोपीय देशों ने चीन के साथ घनिष्ठ व्यापार और निवेश संबंध स्थापित किए हैं। उदाहरण के लिए, इटली BRI में शामिल होने वाला पहला G7 देश बना, जो चीन की रणनीति की सफलता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, हंगरी और ग्रीस जैसे देशों ने चीन के पक्ष में कई निर्णय लिए हैं, जो यूरोपीय संघ के व्यापक दृष्टिकोण से मेल नहीं खाते हैं।
चीन उन देशों के खिलाफ सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी देता है जो उसके विरोध में खड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, लिथुआनिया ने ताइवान के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया, जिसके बाद चीन ने उसके खिलाफ कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इस तरह के दबाव का प्रभाव अन्य यूरोपीय देशों पर भी पड़ता है और वे चीन के साथ अपने संबंधों को सावधानी से प्रबंधित करते हैं।
इसके अलावा, चीन ने हाल ही में यूरोपीय संघ के कुछ देशों को अपने विरोध में खड़े होने से रोकने के लिए अपने आर्थिक दबाव का उपयोग किया है। जर्मनी और फ्रांस जैसे बड़े देशों पर चीन का असर उतना गहरा नहीं हो सकता है, लेकिन छोटे देशों पर उसका प्रभाव साफ दिखाई देता है।
चीन की "गाजर" की नीति में प्रलोभन देना शामिल है, जैसे कि व्यापार समझौते, निवेश, और सहयोग परियोजनाएं। चीन यूरोप के कई देशों को निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए लुभाता है। इसके परिणामस्वरूप, कई यूरोपीय देशों ने चीन के साथ व्यापार समझौतों को बढ़ावा दिया है और उसकी आर्थिक परियोजनाओं में भाग लिया है।
चीन की "गाजर और छड़ी" नीति के सामने, यूरोपीय संघ के देशों की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही है। कई देश जो चीन के आर्थिक लाभों का फायदा उठाना चाहते हैं, वे इसके दबाव के आगे झुकने को तैयार हैं, जबकि अन्य देश मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के मुद्दों पर सख्त रुख अपनाए हुए हैं।
यूरोपीय संघ के अंदर, चीन के खिलाफ एकजुट नीति बनाना मुश्किल हो रहा है। कई देश आर्थिक लाभ के लिए चीन के करीब आ रहे हैं, जबकि कुछ देश चीन के बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं और एक सामूहिक रुख अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।
चीन की "गाजर और छड़ी" की नीति ने यह साबित कर दिया है कि आर्थिक और कूटनीतिक रणनीति से कैसे वैश्विक राजनीति को प्रभावित किया जा सकता है। यूरोपीय संघ के देशों के बीच विभाजन से चीन को अपनी नीति को और भी प्रभावी बनाने का मौका मिला है। हालांकि, यूरोपीय संघ को अब यह तय करना होगा कि वे चीन की इन रणनीतियों का सामना कैसे करेंगे और अपने हितों की रक्षा कैसे करेंगे।