चीन अपनी जनसंख्या के तेजी से बूढ़ा होने के कारण पेंशन प्रणाली पर बढ़ते आर्थिक दबाव का सामना कर रहा है। इस चुनौती का समाधान खोजने के लिए, चीन अब सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने की योजना बना रहा है। इस कदम का उद्देश्य पेंशन फंड पर दबाव को कम करना और कार्यबल में अधिक लोगों को बनाए रखना है, ताकि आर्थिक स्थिरता को बनाए रखा जा सके।
चीन की पेंशन प्रणाली पर बढ़ते बोझ का एक बड़ा कारण है देश की जनसंख्या का तेजी से वृद्ध होना। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, चीन की 60 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या 2035 तक 400 मिलियन तक पहुंच सकती है, जो कुल जनसंख्या का लगभग एक-तिहाई हिस्सा होगा। ऐसे में, मौजूदा पेंशन प्रणाली पर दबाव बहुत अधिक बढ़ जाएगा, और इसे आर्थिक रूप से बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
वर्तमान में, चीन में पुरुषों के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र 60 वर्ष और महिलाओं के लिए 50-55 वर्ष के बीच है। बढ़ती जीवन प्रत्याशा के साथ, सरकार को पेंशन प्रणाली की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
चीनी सरकार ने हाल ही में संकेत दिया है कि वह सेवानिवृत्ति की उम्र को धीरे-धीरे बढ़ाने की योजना बना रही है। यह बदलाव अगले पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य वृद्धावस्था पेंशन के लिए दावेदारों की संख्या को कम करना और कार्यबल में अधिक लोगों को बनाए रखना है, ताकि पेंशन फंड पर दबाव को कम किया जा सके।
चीन की पेंशन प्रणाली 'पे-एज़-यू-गो' मॉडल पर आधारित है, जिसमें वर्तमान कामकाजी जनसंख्या से एकत्रित करों का उपयोग वर्तमान पेंशनभोगियों के भुगतान के लिए किया जाता है। हालांकि, घटती जन्म दर और बढ़ती उम्र के कारण, कार्यबल का आकार सिकुड़ रहा है, जिससे पेंशन फंड पर दबाव बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थिति नहीं बदली गई तो आने वाले दशकों में पेंशन फंड की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के फैसले का न केवल चीन की अर्थव्यवस्था पर बल्कि उसके सामाजिक ढांचे पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। एक ओर, यह कदम पेंशन प्रणाली की स्थिरता को सुनिश्चित कर सकता है और आर्थिक विकास को बनाए रखने में मदद कर सकता है। दूसरी ओर, इस बदलाव से बुजुर्ग श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं, खासकर उन उद्योगों में जहां शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा, यह निर्णय चीन के युवा श्रमिकों को भी प्रभावित कर सकता है। अगर बुजुर्ग कर्मचारी अधिक समय तक कार्यबल में बने रहते हैं, तो युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सीमित हो सकते हैं। इस परिदृश्य में, सरकार को संतुलन बनाए रखने के लिए कार्यस्थल नीतियों में भी बदलाव करना पड़ सकता है।
चीनी सरकार का मानना है कि सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने से पेंशन फंड को संतुलित किया जा सकता है और देश के आर्थिक विकास की गति को बनाए रखा जा सकता है। हालाँकि, सरकार इस बात से भी अवगत है कि इस कदम का सामाजिक और आर्थिक असर व्यापक हो सकता है। इसलिए, अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि सेवानिवृत्ति की उम्र में किसी भी बदलाव को चरणबद्ध तरीके से और व्यापक विचार-विमर्श के बाद लागू किया जाएगा।
सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाना कोई नया कदम नहीं है; कई देशों ने इस समस्या का सामना करने के लिए ऐसा किया है। यूरोप के कई देशों ने पहले ही अपनी सेवानिवृत्ति की आयु को 65 से 67 वर्ष कर दिया है। चीन का यह कदम भी उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
चीन के लिए सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का निर्णय आसान नहीं होगा। यह एक संतुलनकारी कार्य है जिसमें आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना, पेंशन प्रणाली का समर्थन करना, और सामाजिक कल्याण की रक्षा करना शामिल है। इसके साथ ही, इस कदम को लागू करने में आने वाली सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों को भी ध्यान में रखना होगा।