भारत ने अपनी स्वदेशी रूप से विकसित हल्के टैंक (light tank) के पहले चरण के फील्ड ट्रायल्स को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। यह परीक्षण भारतीय सेना की आधुनिक युद्ध क्षमताओं को और मजबूती प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। "मेक इन इंडिया" पहल के तहत विकसित इस हल्के टैंक का उद्देश्य सीमावर्ती इलाकों में तेजी से तैनाती और अधिक मोबाइल ऑपरेशनों को अंजाम देना है।
हाल ही में, भारतीय सेना ने हल्के टैंक के पहले चरण के परीक्षणों को पूरा किया। ये परीक्षण भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा डिज़ाइन और विकसित किए गए टैंक के प्रदर्शन, गतिशीलता, और उसके हथियार प्रणालियों की क्षमता का आकलन करने के लिए किए गए थे।
इस हल्के टैंक का मुख्य उद्देश्य उन दुर्गम इलाकों में सैन्य संचालन को सक्षम बनाना है, जहाँ भारी टैंक को तैनात करना चुनौतीपूर्ण होता है। विशेष रूप से, यह टैंक भारतीय सेना के लिए उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर, जहाँ बर्फीले और पहाड़ी इलाके हैं, उपयोगी साबित होगा।
इस टैंक का विकास "मेक इन इंडिया" पहल के तहत हुआ है, जो भारतीय रक्षा उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बड़ा प्रयास है। हल्के टैंक के विकास में स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह टैंक भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार किया गया है।
भारतीय सेना लंबे समय से हल्के और तेजी से मूव करने वाले टैंकों की जरूरत महसूस कर रही थी, जो ऊँचे और दुर्गम क्षेत्रों में भारी टैंकों की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकें। इस हल्के टैंक के डिजाइन और विकास ने भारतीय रक्षा उद्योग को एक नई दिशा दी है और यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह हल्का टैंक अपनी गति, गतिशीलता, और आसानी से ऑपरेट करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। इसका वजन कम होने के कारण यह पहाड़ी क्षेत्रों में भी आसानी से संचालित हो सकता है। इसके अलावा, यह टैंक अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों से लैस है, जो इसे दुश्मन के भारी बख्तरबंद वाहनों और अन्य सैन्य टारगेट्स के खिलाफ बेहद प्रभावी बनाते हैं।
टैंक में अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सटीक फायरिंग की क्षमता है, जिससे युद्ध के मैदान में इसका उपयोग बेहद आसान और प्रभावी हो जाता है। इसके अलावा, यह हल्का टैंक थर्मल इमेजिंग सिस्टम और लेजर रेंजफाइंडर जैसी तकनीकों से भी लैस है, जो रात के समय और विपरीत मौसम में भी लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम है।
इस हल्के टैंक की सफलतापूर्वक फील्ड ट्रायल्स के बाद, इसे जल्द ही भारतीय सेना में शामिल किया जा सकता है। सेना के अधिकारियों के अनुसार, यह टैंक सीमावर्ती इलाकों में विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर तैनात करने के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
उत्तर और पूर्वी इलाकों में भारी बर्फबारी और पहाड़ी क्षेत्रों की वजह से हल्के टैंकों की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। यह टैंक उन इलाकों में त्वरित प्रतिक्रिया और तेज़ मूवमेंट के लिए आदर्श साबित हो सकता है।
पहले चरण के फील्ड ट्रायल्स की सफलता के बाद, अब दूसरे चरण के परीक्षण किए जाएंगे। दूसरे चरण में टैंक की युद्धक क्षमता, उसके एंटी-टैंक सिस्टम, और उसकी मोर्टार क्षमताओं का आकलन किया जाएगा। इसके अलावा, सेना यह सुनिश्चित करेगी कि यह टैंक विभिन्न मौसम स्थितियों और अन्य युद्ध परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक काम कर सके।
इन परीक्षणों की सफलता के बाद, भारतीय सेना हल्के टैंकों की बड़े पैमाने पर उत्पादन की प्रक्रिया शुरू करेगी, ताकि इन्हें जल्द से जल्द युद्ध क्षेत्र में तैनात किया जा सके।