2024 के चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर दलितों के बीच 'आरक्षण विरोधी एजेंडा' का मुद्दा उठाकर राजनीतिक बढ़त हासिल करने की योजना बनाई है। बीजेपी दलित समुदाय का समर्थन वापस पाने के लिए कांग्रेस के खिलाफ यह बड़ा अभियान शुरू करने की तैयारी में है।
भारत की राजनीति में दलित समुदाय का वोट बैंक हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलितों के समर्थन के लिए लंबे समय से अपनी नीतियों और रणनीतियों को प्राथमिकता देते आए हैं। दलित समुदाय, जो कि आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर अधिक ध्यान देता है, चुनावों में एक बड़ा निर्णायक फैक्टर बन सकता है।
बीजेपी की रणनीति अब कांग्रेस पर 'आरक्षण विरोधी' होने का आरोप लगाकर दलित समुदाय को अपनी तरफ करने की है। इस रणनीति के तहत बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस दलितों और पिछड़े वर्गों के हितों का समर्थन नहीं करती है।
बीजेपी की योजना कांग्रेस की कथित 'आरक्षण विरोधी' नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की है। पार्टी का दावा है कि कांग्रेस की नीतियों ने बार-बार दलित समुदाय के अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास किया है। इसके अलावा, बीजेपी यह भी तर्क दे रही है कि कांग्रेस के नेताओं द्वारा की गई टिप्पणियाँ और नीतिगत निर्णय दलित आरक्षण के खिलाफ थे।
हाल ही में, बीजेपी ने कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं के बयानों को उठाते हुए इसे दलित विरोधी बताया है। बीजेपी का मानना है कि कांग्रेस आरक्षण और दलित अधिकारों के मुद्दे पर दोहरी राजनीति कर रही है, और इसका लाभ उठाने के लिए बीजेपी इसे चुनावी मंच पर जोर-शोर से उठाएगी।
बीजेपी की रणनीति केवल कांग्रेस पर हमले तक सीमित नहीं है। पार्टी ने दलित समुदाय के बीच अपने आधार को मजबूत करने के लिए कई योजनाएँ भी बनाई हैं। इनमें दलित नेताओं को प्रमुख पदों पर बिठाना, दलित समुदाय की आकांक्षाओं और उनकी चिंताओं को सुनना, और उनके कल्याण के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा करना शामिल है।
इसके अलावा, बीजेपी दलित समुदाय के साथ संवाद स्थापित करने के लिए रैलियाँ और विशेष कार्यक्रम भी आयोजित कर रही है। पार्टी के शीर्ष नेता इन आयोजनों के माध्यम से दलित समुदाय को अपनी नीतियों के प्रति आश्वस्त करने की कोशिश करेंगे।
कांग्रेस ने बीजेपी के इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है और इसे बीजेपी की दलितों के प्रति असल नीतियों से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है। कांग्रेस का कहना है कि उसने हमेशा सामाजिक न्याय और आरक्षण के मुद्दों का समर्थन किया है और दलित समुदाय के अधिकारों के लिए हमेशा लड़ाई लड़ी है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बीजेपी खुद दलित आरक्षण के मुद्दे पर सही स्थिति नहीं रखती है और दलितों के वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस पर झूठे आरोप लगा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जहां बीजेपी दलित समुदाय के समर्थन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस अपनी पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखने के लिए प्रयासरत है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दलित समुदाय के बीच आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर चुनावी माहौल को गर्म करने की संभावना है। यदि बीजेपी अपनी इस रणनीति में सफल होती है, तो यह दलित वोट बैंक में कांग्रेस की पकड़ को कमजोर कर सकती है।