नई दिल्ली: भारतीय महिला पहलवान और ओलंपिक खिलाड़ी विनेश फोगाट ने एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने ओलंपिक के दौरान भारतीय खेल प्रबंधन और अधिकारियों द्वारा समर्थन की कमी पर अपनी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जब उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब किसी ने उनकी चिंता नहीं की और उन्हें अनदेखा कर दिया गया।
विनेश फोगाट ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा, "ओलंपिक के दौरान मुझे किसी ने कॉल नहीं किया, न ही किसी ने मेरी मानसिक या शारीरिक स्थिति के बारे में पूछा। मुझे अकेला छोड़ दिया गया।" उनका यह बयान भारतीय खेल प्रबंधन और अधिकारियों के प्रति गंभीर सवाल उठाता है, खासकर ऐसे समय में जब खिलाड़ी को सबसे ज्यादा समर्थन की जरूरत होती है।
विनेश फोगाट, जो टोक्यो ओलंपिक में भारतीय दल का हिस्सा थीं, ने उस समय एक निराशाजनक प्रदर्शन किया था। हालांकि, उन्होंने अपनी तैयारी और प्रदर्शन को लेकर कोई शिकायत नहीं की थी, लेकिन अब उन्होंने खुलासा किया है कि उन्हें मानसिक और भावनात्मक समर्थन की कमी का सामना करना पड़ा।
फोगाट का यह बयान भारतीय खेल प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। जब एक एथलीट, विशेषकर एक ओलंपिक स्तर का खिलाड़ी, अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है, तो उसे शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक समर्थन की भी आवश्यकता होती है।
विनेश फोगाट की यह शिकायत सिर्फ खेल प्रबंधन की विफलता की ओर इशारा नहीं करती, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह से एथलीटों का मानसिक स्वास्थ्य आज भी प्राथमिकता में नहीं रखा जाता। बड़े टूर्नामेंटों में एथलीटों पर मानसिक दबाव होता है और जब उन्हें सही समय पर समर्थन नहीं मिलता, तो इसका उनके प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
विनेश फोगाट का करियर हमेशा चुनौतियों से भरा रहा है। 2016 के रियो ओलंपिक में भी उन्हें चोटिल होकर बाहर होना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत से वापसी की और 2020 के टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया। लेकिन, अब उन्होंने यह खुलासा किया कि उस दौरान उन्हें अपने आसपास से कोई समर्थन नहीं मिला।
फोगाट के इस बयान पर अभी तक भारतीय खेल प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, यह मामला अब तूल पकड़ रहा है और इसे लेकर बहस शुरू हो चुकी है कि क्या भारतीय एथलीटों को बड़े मंचों पर पर्याप्त समर्थन मिल रहा है या नहीं।