लंदन: ब्रिटेन के प्रिंस हैरी ने हाल ही में सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रभावों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इसे युवाओं के लिए एक "महामारी" के रूप में वर्णित किया, जो उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रही है। हैरी ने सोशल मीडिया की लत, गलत सूचना, और ऑनलाइन उत्पीड़न जैसी समस्याओं पर ध्यान खींचा, जो आज की युवा पीढ़ी को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रही हैं।
प्रिंस हैरी ने अपने संबोधन में कहा, "आज के दौर में सोशल मीडिया एक ऐसा मंच बन गया है, जिसने कई युवाओं की मानसिक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। गलत सूचना, साइबरबुलिंग और सोशल मीडिया की लत ने युवाओं के जीवन में अनगिनत समस्याएं पैदा कर दी हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि इन प्लेटफार्मों पर बिताया गया समय अक्सर जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को पीछे छोड़ देता है, जिससे युवा पीढ़ी को सामाजिक, शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास में हानि हो रही है।
प्रिंस हैरी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में भारी वृद्धि देखी जा रही है। कई अध्ययनों से यह पता चला है कि अत्यधिक सोशल मीडिया का इस्तेमाल युवाओं में चिंता, अवसाद, और आत्मसम्मान में गिरावट का कारण बन रहा है। हैरी ने इस बात पर जोर दिया कि सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और यह हमारे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
हैरी ने अपने संबोधन में सोशल मीडिया के नुकसान को "महामारी" के रूप में संदर्भित किया। यह शब्द उन्होंने इसलिए इस्तेमाल किया क्योंकि उन्होंने देखा कि यह समस्या तेजी से फैल रही है और हर रोज इसके दायरे में और अधिक युवा आ रहे हैं। उन्होंने इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में देखा, जिसके लिए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है।
प्रिंस हैरी ने तकनीकी कंपनियों से भी अपील की कि वे जिम्मेदारी से काम करें। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका इस्तेमाल सुरक्षित तरीके से हो और युवाओं को अनावश्यक दबाव या हानि से बचाया जाए। हैरी ने यह भी कहा कि प्लेटफार्मों को इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि उनके एल्गोरिदम और डिज़ाइन मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाएं।
प्रिंस हैरी ने यह भी सुझाव दिया कि बच्चों और युवाओं के डिजिटल शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों को ऑनलाइन खतरों के प्रति सतर्क करना चाहिए और उनके स्क्रीन समय को सीमित करना चाहिए। "बच्चों को यह समझाने की जरूरत है कि सोशल मीडिया असल जीवन नहीं है, और यह उनके आत्म-मूल्य को परिभाषित नहीं करता," हैरी ने कहा।
हैरी ने वैश्विक नेताओं और सरकारों से भी अपील की कि वे इस समस्या को गंभीरता से लें। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के प्रभावों को सीमित करने और सुरक्षा नीतियों को सख्त करने के लिए कड़े कानूनों की जरूरत है। उनके अनुसार, बिना कड़ी कार्रवाई के, यह महामारी और गहरी हो सकती है, जिससे युवा पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य पर और अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।