प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ के आवास पर दौरे ने विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। विपक्षी नेताओं ने इस मुलाकात पर सवाल उठाते हुए न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई है। यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब देश में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच के संबंधों पर लगातार चर्चा हो रही है।
मुलाकात की पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ के आवास का दौरा किया। इस मुलाकात के पीछे का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इस मुलाकात को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताते हुए सवाल खड़े किए हैं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुलाकात को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "प्रधानमंत्री का सीजेआई के आवास पर जाना कई सवाल खड़े करता है। यह मुलाकात न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवालिया निशान लगाती है।"
टीएमसी नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा, "प्रधानमंत्री को यह समझना चाहिए कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता किसी भी लोकतंत्र की रीढ़ होती है। इस तरह की मुलाकातें न्यायपालिका की स्वायत्तता पर असर डाल सकती हैं।"
विपक्षी दलों का मानना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए सरकार को इससे दूर रहना चाहिए। उनका कहना है कि इस तरह की मुलाकातें कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच की रेखा को धुंधला कर सकती हैं।
सरकार का पक्ष
वहीं, भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की मुलाकात को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, "प्रधानमंत्री का सीजेआई से मिलना कोई असामान्य बात नहीं है। यह एक शिष्टाचार भेंट थी और इसे अनावश्यक रूप से विवाद का मुद्दा बनाया जा रहा है।"
भाजपा ने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता उनके लिए सर्वोपरि है और इसे कोई खतरा नहीं है। पार्टी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे इस मामले को बेवजह तूल दे रहे हैं और देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर बहस
इस घटना ने देश में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर एक नई बहस छेड़ दी है। कुछ कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के बीच इस तरह की मुलाकातें तभी होनी चाहिए जब कोई महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दा हो। वहीं, कुछ का कहना है कि न्यायपालिका को अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए कार्यपालिका से उचित दूरी बनाए रखनी चाहिए।
भविष्य के लिए संकेत
प्रधानमंत्री मोदी और सीजेआई चंद्रचूड़ के बीच इस मुलाकात के बाद से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या सरकार और न्यायपालिका के बीच कोई समन्वय हो रहा है? और क्या यह मुलाकात भविष्य में न्यायपालिका के कामकाज को प्रभावित कर सकती है?