अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की अव्यवस्थित वापसी को लेकर अमेरिकी हाउस रिपब्लिकन ने राष्ट्रपति जो बाइडेन की कड़ी आलोचना की है। रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि इस वापसी ने न केवल अमेरिकी सेना को कमजोर स्थिति में डाल दिया बल्कि इसे एक असफल नेतृत्व और रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। इस मुद्दे पर अमेरिकी कांग्रेस में तीखी बहस चल रही है, जिसमें बाइडेन प्रशासन की अफगानिस्तान नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
रिपब्लिकन की आलोचना और कांग्रेस में बहस
अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के रिपब्लिकन सदस्यों ने अफगानिस्तान से वापसी के तरीके को लेकर बाइडेन प्रशासन की आलोचना की। रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि अफगानिस्तान से वापसी की योजना में न केवल गंभीर खामियां थीं, बल्कि इससे तालिबान के हाथों सत्ता का हस्तांतरण भी बेहद अराजक रहा। हाउस रिपब्लिकन नेता केविन मैक्कार्थी ने कहा, "अफगानिस्तान से जिस तरह से वापसी की गई, वह राष्ट्रपति बाइडेन की नेतृत्व क्षमता और उनकी विदेश नीति की असफलता का प्रतीक है।"
मैक्कार्थी और अन्य रिपब्लिकन नेताओं ने आरोप लगाया कि इस अव्यवस्थित वापसी के कारण न केवल अमेरिका की वैश्विक छवि धूमिल हुई है, बल्कि इससे अमेरिका के सहयोगियों को भी निराशा हुई है। उनका कहना है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की जल्दबाजी में वापसी ने तालिबान को सत्ता में लौटने का मौका दिया, जिससे अफगानिस्तान में अराजकता और हिंसा फैल गई।
बाइडेन प्रशासन की प्रतिक्रिया
रिपब्लिकन की आलोचनाओं के जवाब में बाइडेन प्रशासन ने अपनी स्थिति को स्पष्ट किया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने कहा कि अफगानिस्तान से वापसी का निर्णय कई वर्षों की नीतिगत विफलताओं का परिणाम था और बाइडेन प्रशासन ने उस स्थिति से निपटने की कोशिश की थी, जो उसे विरासत में मिली थी। उन्होंने कहा, "यह एक कठिन और जटिल स्थिति थी, और राष्ट्रपति बाइडेन ने अमेरिकी सैनिकों को सुरक्षित घर लाने का निर्णय लिया।"
बाइडेन प्रशासन ने यह भी दावा किया है कि अफगानिस्तान से वापसी के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए एक व्यापक योजना बनाई गई थी, और हजारों अमेरिकी नागरिकों और अफगानों को सुरक्षित निकाला गया।
अमेरिकी जनता और सहयोगियों की प्रतिक्रिया
अफगानिस्तान से वापसी के इस पूरे प्रकरण ने अमेरिकी जनता और उसके अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के बीच भी काफी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। कई लोगों ने इस फैसले को सही ठहराया है, जबकि अन्य ने इसे अमेरिकी प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक बताया है। अफगानिस्तान में सत्ता के तालिबान के हाथों में जाने से वहां महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है, और इसने मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को बढ़ा दिया है।
अफगानिस्तान वापसी का राजनीतिक प्रभाव
अफगानिस्तान से वापसी और उसके बाद की स्थिति ने अमेरिका में राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है। रिपब्लिकन पार्टी इस मुद्दे को आगामी मध्यावधि चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में देख रही है। उनका मानना है कि अफगानिस्तान से वापसी की योजना में बाइडेन प्रशासन की विफलता डेमोक्रेटिक पार्टी की विदेश नीति की कमियों को उजागर करती है।
इसके विपरीत, डेमोक्रेटिक नेताओं का कहना है कि बाइडेन ने एक साहसिक निर्णय लिया और उन अमेरिकी सैनिकों को वापस लाने का वादा निभाया जो दो दशकों से युद्ध में फंसे थे। वे तर्क देते हैं कि बाइडेन ने एक अनंतकाल तक चलने वाले संघर्ष को समाप्त करने का निर्णय लिया, जिसे उनके पूर्ववर्तियों ने टाल दिया था।
अफगानिस्तान के भविष्य पर अनिश्चितता
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान की स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है। तालिबान का शासन, मानवाधिकार हनन की घटनाएं, और आर्थिक अस्थिरता देश को और गहरे संकट में धकेल रही हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन इस स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए हैं और मानवीय सहायता और सुरक्षा के लिए कदम उठा रहे हैं।