अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे बेतुके और निराधार: भारत का कड़ा जवाब

अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे 'बेतुके और निराधार': भारत का कड़ा जवाब

भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद में एक बार फिर तनाव बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। हाल ही में, चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे को दोहराया है, जिसे भारत ने सख्त लहजे में खारिज कर दिया है। भारत ने चीन के इन दावों को 'बेतुका और निराधार' बताया है और स्पष्ट कर दिया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा।

चीन के दावे

चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है और इस पर अपनी संप्रभुता का दावा करता रहा है। चीन का यह दावा न केवल ऐतिहासिक तथ्यों के खिलाफ है, बल्कि दोनों देशों के बीच की कूटनीतिक और सैन्य संबंधों में भी तनाव का कारण बनता है। चीन ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नामों को बदलने की कोशिश की, जिसे उसने अपने नक्शे में शामिल किया था।

भारत का जवाब

भारत ने चीन के इन दावों को कड़े शब्दों में खारिज कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, "अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। चीन के ऐसे किसी भी प्रयास से यह तथ्य नहीं बदलेगा।" भारत ने चीन के दावों को 'बेतुका और निराधार' बताया और जोर दिया कि अरुणाचल प्रदेश के लोग भारतीय नागरिक हैं और वे देश के अन्य हिस्सों के समान अधिकारों का आनंद लेते हैं।

अरुणाचल प्रदेश की स्थिति

अरुणाचल प्रदेश, भारत का एक पूर्वोत्तर राज्य है, जो अपनी समृद्ध संस्कृति, विविध जनजातियों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह राज्य भारत के लिए सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तिब्बत, भूटान और म्यांमार के साथ सीमाएं साझा करता है। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर दावा करना भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर सीधा हमला है।

सीमा विवाद का इतिहास

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का इतिहास पुराना है और 1962 के युद्ध के बाद से यह विवाद और भी गहराता गया है। दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर भी मतभेद हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश के बड़े हिस्से को अपना हिस्सा मानता है, जबकि भारत इसे अपने राज्य का अभिन्न हिस्सा मानता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

चीन के इस दावे को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी आलोचना का सामना करना पड़ा है। कई देशों ने चीन के विस्तारवादी नीतियों और भारत की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के ऐसे कदम केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देंगे और भारत के साथ उसके संबंधों को और जटिल बना देंगे।

भारत की सुरक्षा तैयारियाँ

भारत ने भी चीन की इन हरकतों का जवाब देने के लिए अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत किया है। भारत ने अरुणाचल प्रदेश और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ाया है और जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत किया है। भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी कीमत पर अपनी क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं करेगा।

भविष्य की दिशा

इस समय दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का समाधान होता नहीं दिख रहा है। हालांकि, भारत और चीन के बीच कई स्तरों पर बातचीत की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। भारत ने हमेशा शांतिपूर्ण समाधान की बात की है, लेकिन चीन के लगातार आक्रामक दावों ने स्थिति को जटिल बना दिया है।