सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता एम एम लॉरेंस का 95 वर्ष की आयु में निधन

सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता एम एम लॉरेंस का 95 वर्ष की आयु में निधन

कोच्चि: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता और केरल की राजनीति के प्रमुख हस्ती एम एम लॉरेंस का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लॉरेंस ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा कम्युनिस्ट आंदोलन, मजदूर अधिकारों और श्रमिक आंदोलनों के प्रति समर्पित किया। उनके निधन से केरल और भारत की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है।

राजनीतिक जीवन का सफर

एम एम लॉरेंस का जन्म 1928 में हुआ था और उन्होंने शुरुआती जीवन से ही साम्यवाद की विचारधारा को अपनाया। वे छात्र जीवन से ही राजनीतिक आंदोलनों में सक्रिय रहे और धीरे-धीरे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रमुख नेता के रूप में उभरे। उनका नाम केरल के श्रमिक आंदोलनों में प्रमुखता से लिया जाता है, जहां उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

केरल की राजनीति में योगदान

लॉरेंस ने कई दशकों तक केरल की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाई। वे अपनी बेबाक राय और नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते थे। श्रमिक संघ के प्रति उनका गहरा लगाव और उनके संघर्षशील रवैये ने उन्हें केरल में मजदूर आंदोलनों का एक बड़ा चेहरा बनाया।

उन्होंने 1987 में राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं और केरल राज्य विद्युत बोर्ड (केएसईबी) में श्रमिकों के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं और सुधारों की पहल की। लॉरेंस का राजनीतिक करियर 70 वर्षों से अधिक लंबा रहा, जिसमें उन्होंने वामपंथी विचारधारा और श्रमिक वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

संघर्ष और उपलब्धियाँ

लॉरेंस को खासतौर पर ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) के आंदोलनों में उनके नेतृत्व के लिए जाना जाता है। वे मजदूर संघों के सक्रिय सदस्य रहे और उन्होंने पूरे केरल में श्रमिकों के अधिकारों और बेहतर वेतन के लिए आंदोलनों का नेतृत्व किया।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने हमेशा मेहनतकश वर्ग के लिए आवाज उठाई और उन्हें सशक्त करने का कार्य किया। उनके मार्ग

दर्शन ने केरल के श्रमिक वर्ग के साथ ही साथ पूरे भारत के मजदूर आंदोलनों में अपनी गहरी छाप छोड़ी।

अंतिम विदाई और श्रद्धांजलि

एम एम लॉरेंस के निधन के बाद केरल के राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि लॉरेंस का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने उनके संघर्ष और दृढ़ संकल्प की सराहना करते हुए कहा कि लॉरेंस ने हमेशा समाज के दबे-कुचले और शोषित वर्ग के लिए आवाज उठाई।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के अन्य नेताओं ने भी लॉरेंस की स्मृति में शोक व्यक्त किया और कहा कि उनका जीवन श्रमिक वर्ग के लिए प्रेरणादायक था। विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कई मजदूर आंदोलनों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया और मजदूरों के हितों की रक्षा की।

मृत्यु के बाद का उत्तराधिकार

एम एम लॉरेंस के निधन के बाद उनके द्वारा छोड़े गए राजनीतिक और सामाजिक उत्तराधिकार को संभालने के लिए CPI(M) और अन्य श्रमिक संघों के सामने बड़ी चुनौती है। हालांकि, उनके आदर्श और उनके द्वारा स्थापित संगठनात्मक ढांचे ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी है।

उनके निधन से केरल की राजनीति में एक शून्य उत्पन्न हुआ है जिसे भरना मुश्किल होगा। लेकिन उनके जीवन से सीख लेकर नए नेताओं को उनके संघर्ष और विचारधारा को आगे बढ़ाने का दायित्व सौंपा गया है।