भारतीय उद्योगपति हर्ष गोयनका ने हाल ही में अशनीर ग्रोवर द्वारा 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' पर की गई टिप्पणी का जवाब दिया है। यह टिप्पणी उस समय आई जब EY (अर्न्स्ट एंड यंग) विवाद में ग्रोवर ने कॉर्पोरेट वातावरण पर सवाल उठाए थे। ग्रोवर ने, जो भारतपे के पूर्व सह-संस्थापक हैं, 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' को लेकर अपने विचार सोशल मीडिया पर साझा किए थे, जिसके बाद इस मुद्दे पर काफी चर्चा शुरू हो गई है।
अशनीर ग्रोवर की टिप्पणी
अशनीर ग्रोवर, जो अपने खुले और विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं, ने हाल ही में 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' के बारे में कहा कि कई कंपनियों में काम का माहौल कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। ग्रोवर ने यह भी बताया कि कंपनियों में नेतृत्व की भूमिका कैसी होनी चाहिए और कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
ग्रोवर के इस बयान ने सोशल मीडिया पर बड़ा हंगामा मचा दिया। कई लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं, और EY विवाद के संदर्भ में इस टिप्पणी को जोड़कर देखा जा रहा है। EY इंडिया में भी हाल ही में काम के माहौल को लेकर कुछ गंभीर आरोप लगे थे, जिन पर अब जांच चल रही है।
हर्ष गोयनका की प्रतिक्रिया
आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका, जो अक्सर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, ने अशनीर ग्रोवर की इस टिप्पणी का जवाब दिया। गोयनका ने कहा, "नेतृत्व का काम कर्मचारियों को प्रेरित करना और एक सकारात्मक कार्य संस्कृति को बढ़ावा देना है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि कर्मचारियों को एक स्वस्थ और उत्साहजनक माहौल मिले।"
हालांकि, गोयनका ने ग्रोवर की आलोचना नहीं की, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि वह 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' जैसे मुद्दों को गंभीरता से लेते हैं और इसके खिलाफ मजबूत नेतृत्व की वकालत करते हैं।
EY विवाद का संदर्भ
EY इंडिया हाल ही में काम के माहौल को लेकर विवादों में है। कुछ कर्मचारियों ने कंपनी पर अत्यधिक काम के घंटे और कर्मचारियों पर मानसिक दबाव डालने का आरोप लगाया है। इन आरोपों के बाद EY पर कड़ी नजर रखी जा रही है और कंपनी की आंतरिक संस्कृति को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।
अशनीर ग्रोवर की 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' वाली टिप्पणी को इस संदर्भ में भी देखा जा रहा है कि वह EY के खिलाफ खड़े कर्मचारियों की स्थिति का समर्थन कर रहे हैं। ग्रोवर के बयानों से यह स्पष्ट है कि वह इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से नहीं हिचकते।
स्टार्टअप और कॉर्पोरेट कल्चर पर बढ़ती चर्चा
भारत में स्टार्टअप्स और बड़ी कंपनियों में काम के माहौल को लेकर बढ़ती चर्चा इस बात की ओर इशारा करती है कि अब कॉर्पोरेट नेतृत्व को कर्मचारियों की भलाई पर और अधिक ध्यान देना होगा। पिछले कुछ सालों में कई बड़ी कंपनियों में 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' के आरोप लगे हैं, जिनमें अत्यधिक काम, कर्मचारियों पर मानसिक दबाव, और कार्य-जीवन संतुलन की कमी जैसे मुद्दे प्रमुख हैं।
अशनीर ग्रोवर, जो खुद भी एक प्रमुख स्टार्टअप संस्थापक रहे हैं, ने इस मुद्दे पर अपनी बेबाक राय दी। उनका मानना है कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों का सम्मान करना चाहिए और एक ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल हो।
कॉर्पोरेट नेतृत्व की भूमिका
हर्ष गोयनका की टिप्पणी ने इस बात पर जोर दिया कि नेतृत्व का कार्य केवल कंपनी को मुनाफे में रखना नहीं है, बल्कि कर्मचारियों के लिए एक स्वस्थ कार्य संस्कृति का निर्माण करना भी है। उन्होंने कहा कि "किसी भी सफल कंपनी के लिए कर्मचारियों की भलाई और विकास प्राथमिकता होनी चाहिए।"
कई उद्योगपति और कारोबारी नेता इस बात से सहमत हैं कि 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' को खत्म करने के लिए नेतृत्व को जिम्मेदारी उठानी होगी। वे मानते हैं कि काम के वातावरण का सीधा प्रभाव कर्मचारियों की उत्पादकता, मानसिक स्वास्थ्य और कंपनी की समग्र सफलता पर पड़ता है।