भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करते हुए, दोनों देशों ने लंबी अवधि के लिए तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की आपूर्ति और नागरिक परमाणु सहयोग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौते भारत की ऊर्जा सुरक्षा और यूएई के साथ रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
समझौतों का विवरण और महत्व
दोनों देशों के बीच यह समझौते हाल ही में अबू धाबी में हुए एक उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठक के दौरान किए गए। भारत के ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह पुरी और यूएई के ऊर्जा और बुनियादी ढांचा मंत्री सुहैल अल मजरूई की उपस्थिति में इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इन समझौतों का उद्देश्य भारत और यूएई के बीच ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और रणनीतिक सहयोग को और अधिक मजबूत बनाना है।
एलएनजी आपूर्ति पर समझौता:
एलएनजी आपूर्ति के समझौते के तहत, यूएई भारत को लंबी अवधि के लिए तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) की आपूर्ति करेगा। यह समझौता भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, क्योंकि देश में गैस की मांग बढ़ती जा रही है। भारत, जो कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए एलएनजी पर काफी निर्भर है।
यह समझौता भारत की ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, साथ ही साथ यह वैश्विक ऊर्जा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से भी सुरक्षा प्रदान करेगा। हरदीप सिंह पुरी ने कहा, "यह समझौता हमारे ऊर्जा संबंधों को और अधिक मजबूती देगा और हमारी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा।"
नागरिक परमाणु सहयोग पर समझौता:
दूसरा समझौता नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को लेकर है। इस समझौते के तहत, भारत और यूएई दोनों देश परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग करेंगे, जिसमें परमाणु ईंधन, प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान, अनुसंधान और विकास शामिल हैं। यह समझौता भारत की स्वच्छ ऊर्जा पहल के अनुरूप है और दोनों देशों को ऊर्जा क्षेत्र में दीर्घकालिक साझेदारी को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
भारत-यूएई संबंधों का विस्तार
भारत और यूएई के बीच संबंध हाल के वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं। दोनों देश ऊर्जा, व्यापार, रक्षा, और प्रौद्योगिकी जैसे कई क्षेत्रों में करीबी साझेदार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की नेतृत्व में द्विपक्षीय संबंधों ने एक नई ऊंचाई प्राप्त की है।
यूएई भारत के लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा आपूर्तिकर्ता है, और भारत यूएई के लिए एक प्रमुख ऊर्जा बाजार है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और यह समझौते इस साझेदारी को और भी मजबूती प्रदान करेंगे।
ऊर्जा सुरक्षा और भू-राजनीतिक महत्व
एलएनजी आपूर्ति और नागरिक परमाणु सहयोग पर समझौतों का भारत के ऊर्जा सुरक्षा के लिए व्यापक महत्व है। भारत की ऊर्जा मांग तेजी से बढ़ रही है, और यह समझौते देश की ऊर्जा आपूर्ति में विविधता लाने और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इसके अलावा, नागरिक परमाणु सहयोग भारत की स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने की पहल के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारत पहले ही 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित कर चुका है, और परमाणु ऊर्जा इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
भविष्य की संभावनाएं और सहयोग के अन्य क्षेत्र
भारत और यूएई के बीच यह सहयोग सिर्फ ऊर्जा तक सीमित नहीं है। दोनों देश प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और रक्षा जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी सहयोग कर रहे हैं। यह समझौते दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों को और भी मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
यूएई के मंत्री सुहैल अल मजरूई ने कहा, "भारत हमारे लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, और हम सभी क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"