सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना पर कोर्ट-मॉनिटर्ड जांच की याचिकाएँ खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना पर कोर्ट-मॉनिटर्ड जांच की याचिकाएँ खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना पर कोर्ट-मॉनिटर्ड जांच की याचिकाएँ खारिज कर दी हैं, और स्थिति को जस का तस बनाए रखा है। जानिए अदालत के इस निर्णय और इसके राजनीतिक वित्तपोषण पर प्रभाव के बारे में।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना पर कोर्ट-मॉनिटर्ड जांच की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस निर्णय के बाद, इस योजना के खिलाफ जांच की कोई अदालत निगरानी नहीं होगी। अदालत ने यह निर्णय लेते हुए इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है और किसी भी अदालती निगरानी की आवश्यकता को अस्वीकार कर दिया है।

चुनावी बांड योजना की पृष्ठभूमि

चुनावी बांड योजना, जो 2018 में शुरू की गई थी, एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें राजनीतिक दलों को वित्तीय सहायता के रूप में बांड मिलते हैं। इन बांडों को खरीदार की पहचान को गुप्त रखते हुए राजनीतिक दलों को वितरित किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य राजनीतिक दलों को पारदर्शी तरीके से धन जुटाने में मदद करना था, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह प्रणाली पारदर्शिता की कमी और संभावित भ्रष्टाचार की ओर ले जाती है।

याचिकाओं का आधार

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में यह मांग की थी कि चुनावी बांड योजना की जांच अदालत द्वारा की जाए ताकि इस योजना की पारदर्शिता और कानून के अनुरूपता की पुष्टि की जा सके। उनका तर्क था कि इस योजना के तहत राजनीतिक दलों को मिलने वाले धन का उपयोग उचित तरीके से हो और इसके संभावित दुष्परिणामों की जांच की जाए।

अदालत की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस योजना के कार्यान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित सरकारी संस्थाओं पर है और अदालत को इस मामले में दखल देने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी को इस योजना के संबंध में कोई शिकायत है, तो वे संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।

प्रतिक्रियाएँ और प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने चुनावी बांड योजना के बारे में एक बार फिर से बहस छेड़ दी है। इस निर्णय को कुछ लोगों ने पारदर्शिता की दिशा में एक कदम पीछे मानते हुए आलोचना की है, जबकि अन्य ने इसे मौजूदा व्यवस्था के प्रति विश्वास बनाए रखने का संकेत माना है।

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना पर कोर्ट-मॉनिटर्ड जांच की याचिकाएँ खारिज कर दी हैं, और स्थिति को जस का तस बनाए रखा है। यह निर्णय इस योजना की पारदर्शिता और कानून के अनुरूपता पर भविष्य में उठने वाली बहसों को प्रभावित करेगा।