समावेशी J&K सरकार चाहिए: ज़ैनपोरा में जमात का समर्थन, PDP द्वारा नजरअंदाज किए गए पूर्व विधायक को मिला साथ

समावेशी J&K सरकार चाहिए: ज़ैनपोरा में जमात का समर्थन

जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब ज़ैनपोरा में जमात-ए-इस्लामी ने पीडीपी द्वारा नजरअंदाज किए गए एक पूर्व विधायक का खुला समर्थन किया। जमात ने एक समावेशी सरकार की मांग की है जो जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रों और समुदायों के हितों का ध्यान रखे।

PDP से मतभेद के बाद पूर्व विधायक को मिला जमात का साथ

पिछले कुछ महीनों में जम्मू-कश्मीर की राजनीति में जमात-ए-इस्लामी की सक्रियता बढ़ी है। ज़ैनपोरा के पूर्व विधायक, जिन्हें पीडीपी (पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) ने हाल ही में चुनावी रणनीति से बाहर कर दिया था, को जमात का खुला समर्थन मिला है। यह समर्थन तब आया है जब पूर्व विधायक और पीडीपी के बीच विचारधारा और नेतृत्व में मतभेद हो गए थे।

समावेशी सरकार की मांग

ज़ैनपोरा में आयोजित एक सभा के दौरान जमात-ए-इस्लामी के नेताओं ने कहा कि राज्य में एक समावेशी सरकार की जरूरत है, जो सभी क्षेत्रों और समुदायों के हितों को ध्यान में रखे। उनका मानना है कि जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में जनता को हाशिए पर रखने की बजाय उनके अधिकारों की रक्षा करने वाली सरकार का गठन होना चाहिए।

एक जमात के नेता ने सभा में कहा, "हमें एक ऐसी सरकार चाहिए जो सभी वर्गों को साथ लेकर चले। जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए यह समय है कि वे उन नेताओं का समर्थन करें जो उनके वास्तविक हितों की रक्षा करें।"

PDP का रुख और विवाद

पीडीपी, जिसे महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पार्टी के रूप में जाना जाता है, ने राज्य के आगामी चुनावों के लिए रणनीति बनाते हुए कई पुराने नेताओं को नजरअंदाज कर दिया था। इसमें ज़ैनपोरा के पूर्व विधायक भी शामिल थे, जिन्होंने वर्षों तक पार्टी के साथ काम किया था।

पीडीपी की यह रणनीति विवादों में घिर गई है, क्योंकि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस फैसले से नाराज़ हैं। कुछ नेताओं का मानना है कि पार्टी नेतृत्व ने चुनावी तैयारियों में पारदर्शिता की कमी दिखाई है, और उनके पुराने नेताओं की अनदेखी की है।

जमात का समर्थन क्यों महत्वपूर्ण है?

जमात-ए-इस्लामी का जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह संगठन राज्य में सामाजिक और धार्मिक प्रभाव रखता है, और इसका समर्थन किसी भी राजनीतिक नेता के लिए बड़ा मायने रखता है। ज़ैनपोरा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में, जहां जनता धार्मिक और सामाजिक रूप से जमात के साथ जुड़ी हुई है, जमात का समर्थन एक पूर्व विधायक के राजनीतिक भविष्य को संवार सकता है।

राजनीतिक समीकरण

जमात के समर्थन से ज़ैनपोरा के पूर्व विधायक को स्थानीय स्तर पर एक मजबूत राजनीतिक स्थिति मिलने की संभावना है। इस समर्थन के साथ, वे आगामी विधानसभा चुनावों में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार हो सकते हैं। वहीं, पीडीपी के लिए यह एक झटका है, क्योंकि पार्टी ने अपनी पुरानी रणनीति में बदलाव करते हुए कई नेताओं को नजरअंदाज कर दिया है, जो अब अन्य राजनीतिक विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।

ज़ैनपोरा की राजनीतिक स्थिति

ज़ैनपोरा, जो कि दक्षिण कश्मीर का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, हमेशा से ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है। यहां की जनता धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से जमात-ए-इस्लामी से जुड़ी हुई है, और इस क्षेत्र में जमात का समर्थन किसी भी नेता के लिए जीत की कुंजी साबित हो सकता है।

पिछले कुछ वर्षों में, ज़ैनपोरा में राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिली है, जहां क्षेत्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में जमात का खुला समर्थन यहां की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है।

भविष्य की संभावनाएँ

जमात के इस कदम से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में नई संभावनाएं उभर रही हैं। जहां एक ओर जमात-ए-इस्लामी एक समावेशी सरकार की मांग कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह समर्थन राज्य के राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है।

जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे ज़ैनपोरा और अन्य क्षेत्रों में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो रही हैं। इस समर्थन के बाद, पूर्व विधायक को अब अधिक समर्थन और जनता की सहानुभूति मिल सकती है, जो उनके राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगा।